कॉलगर्ल
खटपटिया अपने साथी कर्मचारी जगदीश को लेकर अस्पताल से पुलिस चौकी के लिए रवाना हो गया था। मीरा से मिलने के बाद इंस्पेक्टर जगदीश ने रास्ते में खटपटिया को यह बात बताई की "आप मानो ना मानो सर मीरा हमसे कुछ छुपा रही है।" उसे वक्त खटपटिया को जगदीश की बात माननी पड़ी। लेकिन जब तक उसके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिलता उसे हिरासत में नहीं ले सकते थे। पर ऐसा नहीं था कि खटपटिया मीरा को लेकर लापरवाह था। उसकी निगाहें बराबर मीरा की हर एक एक्टिविटी पर सीसीटीवी कैमरे की तरह जमी हुई थी। "सर, मेरे ख्याल से दोनों ही मर्डर एक दूसरे से काफी हद तक मिलते जुलते हैं। कत्ल का तरीका सेम है और कातिल भी एक ही है। मुझे लगता है ठमठोर सिंघ की डायरी हमें कुछ मदद कर सकती है। उसे डायरी में मैंने ठमठोर सिंघ के करीबी दोस्तों के नाम और नंबर देखे हैं। जिसमें पुरुषोत्तम का भी नाम था।" इतना कहते कहते जगदीश के चेहरे का रंग उड़ गया। उसने चौकते हुए खटपटिया से कहा, "सर यह ख्याल मुझे पहले क्यों नहीं आया कि अब अगली बारी पुरुषोत्तम की है?" जगदीश की बात सुनकर खटपटिया के चेहरे पर सिकन तक नहीं आई थी। "यह बात में अच्छी तरह जानता हूं जगदीश!" खटपटिया ने नरम लहजे में कहा था। खटपटिया की बात सुनने के बाद जगदीश सर की दूरदर्शिता और समझदारी का कायल हो गया। "सर, मेरे ख्याल से सबको गुमराह करने के लिए हत्यारा कठपुतली शब्द को मर्डर स्पॉट पर लिख रहा है। कठपुतली उसके लिए कोई मिशन हो सकता है।" "नहीं जगदीश, वह किसी को गुमराह नहीं कर रहा बल्कि वह तो पुलिस के पूरे महकमे को चैलेंज कर रहा है। पुलिस के साथ-साथ हत्यारा अपने दुश्मनों को यह वार्निंग दे रहा है कि अब उसने बदला लेना शुरू कर दिया है और वह किसी को बक्शने वाला नहीं है एक के बाद एक सब की बारी है।" "हां, लेकिन ऐसे वार्निंग देने से उसका क्या फायदा है!" इतनी सी बात भी नहीं समझे जगदीश हत्यारा अपने दुश्मनों को हर पल मौत का एहसास करवा रहा है।अपने दुश्मनों को मौत से पहले ही मार देना चाहता है क्योंकि जब उन्हें हकीकत में मौत का सामना करना पड़े तो दुश्मन उसे देखते ही मर जाए। और फिर आसानी से उनके जिस्म पर वार करके लहू से कठपुतली लिखकर वह निकल जाए।" "हत्यारा जो भी है उसके साथ इन लोगों ने जरूर कोई बुरा सलूक किया होगा बाकी इतनी बेरहमी से भला कौन किसी को मारता है।" "हां. जगदीश मेरा भी यही मानना है और हमें उसी दिशा में इन्वेस्टिगेट करना है। जितना हो सके जल्दी हमें यह पता लगाना है कि उड़ीसा से आए पांच दोस्त कौन थे और उन्होंने क्या गुनाह किया था ऐसी क्या वजह रही होगी जिसके कारण पांचो को एक साथ अपना वतन छोड़कर सूरत आना पड़ा?" "हो सकता है यही वजह रही हो सर जिसके कारण आज उनकी एक के बाद एक हत्या हो रही है।" "बहुत जल्द हम उसे बात का पता लगा लेंगे जगदीश़ कि ऐसी कौन सी वजह थी जिसके कारण वह अपने दुश्मनों को दर्दनाक मौत बांट रहा है।" "हां सर, और उसके लिए अब मुझे लगता है हमें पुरुषोत्तम को मिल लेना चाहिए।" "बात तो तुम ठीक कह रहे हो जगदीश! जितना हो सके जल्दी हमें पुरुषोत्तम के पास पहुंच जाना चाहिए।" "अगला टारगेट वही है इसलिए उसके उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। और किसी भी हाल में हम उसकी हत्या नहीं होने देंगे। आज ऐसा समझ लो पुरुषोत्तम हमारे लिए अपने शिकार को हड़पने का जरिया मात्र है। हमने ही उसे बकरा बनाकर आगे किया है। जितना हो सके जल्दी हमें पुरुषोत्तम के घर पहुंच जाना है। जितना हो सके जल्दी हमें उसे पर नजर रखनी है। हमें यकीन है इस बार शिकार हमारे जाल में जरूर फंस जाएगा। इस बार हमने भी उसे उसकी नानी याद ना दिल दी तो कहना। उसका अगला पिछला सारा हिसाब इस बार हम चुकता कर देंगे।" खटपटिया जैसे-जैसे गाड़ी का एक्सीलेटर बढ़ा रहा था उसके जबड़े भिंचते चले गए। ********
इस बार डुमस की हद में मर्डर हुआ था। पुलिस चौकी के इंचार्ज को किसी ने खबर करते ही एक और खून का केस दर्ज हुआ था। खून की यह घटना भी इस मर्डर श्रृंखला की अगली कड़ी थी इसलिए खटपटिया अपने तरीके से इस केस को भी इन्वेस्टिगेट करना चाहता था। पुरुषोत्तम दास की गाड़ी को खटपटिया और जगदीश घूर घूर कर देख रहे थे। गाड़ी के कांच पर लहू से कठपुतली लिखा गया था। गाड़ी की बगल में पुरुषोत्तम की लाश पड़ी थी। जमीन पर लाश को घसीटा जाने के निशान और जगह-जगह लहू के धब्बे देखकर दोनों समझ चुके थे कि पुरुषोत्तम का मर्डर गाड़ी के पास नहीं हुआ लेकिन इसे विलायती बबूल की झाड़ियां में मर गया है फिर वहां से घसीट कर उसकी लाश लाश को बाहर लाया गया होगा। पुरुषोत्तम के गले की नस कट चुकी थी। उसके कपड़े लहू से सने हुए थे। आंखें फटी की फटी रह गई थी। खटपटिया और जगदीश ने आसपास की जमीन का मुआवला कर लिया था। दोनों कदमों के निशान का पता लगाते लगाते जहां पुरुषोत्तम को मारा गया था वह जगह भी देख आए थे। विलायती बबूल के बीच रक्त के धब्बे मौजूद थे। जैसे पुरुषोत्तम की बॉडी से निकला हुआ लहू भूमि ने चूस लिया था। पुरुषोत्तम के फैमिली को बुलाया गया था। लाश को पहचानते ही पुरुषोत्तम की वाइफ का रो-रो कर बुरा हाल था।
पुरुषोत्तम की वाइफ को उसके बच्चों को और सास ससुर को एक साथ वापस उनके घर भेज दिया गया। पुरुषोत्तम की बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भिजवा दिया गया। पुरुषोत्तम दास एक बिल्डर था। उम्र तकरीबन 35 साल रही होगी। उसके सिर में अब एक भी बोल नहीं था। पूरी तरह गंजे हो चुके पुरुषोत्तम के माथे पर एक लंबा चौड़ा निशान था। पुरुषोत्तम मजबूत शरीर का इतना तगड़ा इंसान था कि उसकी हत्या होना खटपटिया को जरा भी हजम नहीं हो रहा था। ऐसा लग रहा था उसे मौत के घाट उतारते वक्त पूरी तरह बर्बरता बढ़ती गई थी। बेचारे को प्रतिकार करने का मौका तक नहीं मिला होगा।
Punam verma
17-Oct-2023 08:01 AM
Nice👍
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RISHITA
13-Oct-2023 01:07 PM
Awesome
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hema mohril
11-Oct-2023 09:24 PM
V nice
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